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BABOSA JANMOTSAV

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   A POEM DEDICATED TO BABOSA BHAGWAN चाँद- सितारे, नभ और सूरज नजर उतारे, छगनी लाल की । बाज रहे है ढोल- नगाड़े, फूलों से सजी है पालकी । हर्ष हो रहा है जग में,  आई है घड़ी कलयाण की । बाबोसा का जन्म हुआ है, आरंभ ये कलयुग के उद्धार की ।।